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केरल में बढ़ रहा है ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ का खतरा: क्या है यह बीमारी और कैसे बचें?

BRAIN EATING AMOEBA

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भारत के केरल राज्य में इस समय एक दुर्लभ और खतरनाक बीमारी चर्चा में है। इस बीमारी का कारण है Naegleria fowleri, जिसे आम भाषा में ब्रेन-ईटिंग अमीबा यानी “दिमाग खाने वाला अमीबा” कहा जाता है। यह संक्रमण नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और दिमाग तक पहुँचकर उसे तेजी से नष्ट कर देता है।

क्या है Brain-Eating Amoeba?

Brain-Eating Amoeba एक सूक्ष्म जीव है, जो गंदे और गर्म ताजे पानी (जैसे तालाब, झील, नदी और साफ न किए गए स्विमिंग पूल) में पाया जाता है। यह Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM) नामक घातक बीमारी का कारण बनता है।

यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि 1962 से अब तक दुनिया में केवल लगभग 500 मामले ही दर्ज हुए हैं। लेकिन केरल में पिछले कुछ सालों से इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

केरल में हालात कितने गंभीर हैं?

यह संक्रमण कैसे फैलता है?

लक्षण क्या हैं?

संक्रमण के लक्षण शुरू में सामान्य बीमारी जैसे लग सकते हैं, लेकिन जल्दी गंभीर हो जाते हैं:

आमतौर पर लक्षण आने के 1 से 18 दिन के भीतर मौत हो सकती है।

इलाज क्या है?

अब तक इस बीमारी का कोई पक्का इलाज नहीं है।

बचाव कैसे करें?

चूँकि इस बीमारी से बचाव ही सबसे बड़ी सुरक्षा है, स्वास्थ्य विभाग ने ये सलाह दी है:

नतीजा

केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा का खतरा वास्तविक है, लेकिन समय रहते सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है। सरकार ने राज्यव्यापी “जल ही जीवन है” (Jalamanu Jeevan) अभियान शुरू किया है, जिसके तहत कुओं, टंकियों और सार्वजनिक स्नान स्थलों में क्लोरीनेशन किया जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान इस बीमारी को और फैलने का मौका दे रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम साफ पानी का उपयोग करें और स्वास्थ्य विभाग की हिदायतों का पालन करें।

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