भारत के केरल राज्य में इस समय एक दुर्लभ और खतरनाक बीमारी चर्चा में है। इस बीमारी का कारण है Naegleria fowleri, जिसे आम भाषा में ब्रेन-ईटिंग अमीबा यानी “दिमाग खाने वाला अमीबा” कहा जाता है। यह संक्रमण नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और दिमाग तक पहुँचकर उसे तेजी से नष्ट कर देता है।
क्या है Brain-Eating Amoeba?
Brain-Eating Amoeba एक सूक्ष्म जीव है, जो गंदे और गर्म ताजे पानी (जैसे तालाब, झील, नदी और साफ न किए गए स्विमिंग पूल) में पाया जाता है। यह Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM) नामक घातक बीमारी का कारण बनता है।
यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि 1962 से अब तक दुनिया में केवल लगभग 500 मामले ही दर्ज हुए हैं। लेकिन केरल में पिछले कुछ सालों से इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
केरल में हालात कितने गंभीर हैं?
- साल 2025 में अब तक 69 मामले और 19 मौतें सामने आई हैं।
- मरीजों की उम्र 3 महीने से लेकर 90 साल तक रही है।
- पिछले साल 36 मामले और 9 मौतें हुई थीं।
- विशेषज्ञों का कहना है कि मामलों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन समय पर पहचान और इलाज से मृत्यु दर कम हुई है।
यह संक्रमण कैसे फैलता है?
- यह बीमारी पीने के पानी से नहीं फैलती।
- जब दूषित पानी नाक के जरिए शरीर में जाता है, तो अमीबा सीधा दिमाग तक पहुँच जाता है।
- तालाबों, कुओं, झीलों या बिना क्लोरीन वाले स्विमिंग पूलों में नहाने या तैरने से संक्रमण का खतरा होता है।
- धार्मिक क्रियाओं (जैसे जल नेति) में भी गंदे पानी के उपयोग से जोखिम हो सकता है।
लक्षण क्या हैं?
संक्रमण के लक्षण शुरू में सामान्य बीमारी जैसे लग सकते हैं, लेकिन जल्दी गंभीर हो जाते हैं:
- तेज सिरदर्द
- बुखार और उल्टी
- गर्दन में अकड़न
- दौरे (seizures)
- भ्रम, मतिभ्रम और कोमा
आमतौर पर लक्षण आने के 1 से 18 दिन के भीतर मौत हो सकती है।
इलाज क्या है?
अब तक इस बीमारी का कोई पक्का इलाज नहीं है।
- डॉक्टर एंटी-फंगल और एंटी-बायोटिक दवाओं का कॉम्बिनेशन देते हैं।
- कुछ मामलों में Miltefosine दवा से मरीज की जान बची है।
- शुरुआती पहचान ही मरीज के बचने की सबसे बड़ी उम्मीद है।
बचाव कैसे करें?
चूँकि इस बीमारी से बचाव ही सबसे बड़ी सुरक्षा है, स्वास्थ्य विभाग ने ये सलाह दी है:
- तालाब, झील या गंदे पानी में न तैरें या स्नान न करें।
- स्विमिंग करते समय नाक में क्लिप लगाएँ या सिर पानी से ऊपर रखें।
- धार्मिक क्रियाओं में नाक धोने के लिए केवल उबला और ठंडा किया हुआ, डिस्टिल्ड या स्टेराइल पानी ही इस्तेमाल करें।
- घर की टंकियों और स्विमिंग पूलों की नियमित सफाई और क्लोरीनेशन करें।
- खुले घाव को गंदे पानी से बचाएँ।
नतीजा
केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा का खतरा वास्तविक है, लेकिन समय रहते सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है। सरकार ने राज्यव्यापी “जल ही जीवन है” (Jalamanu Jeevan) अभियान शुरू किया है, जिसके तहत कुओं, टंकियों और सार्वजनिक स्नान स्थलों में क्लोरीनेशन किया जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान इस बीमारी को और फैलने का मौका दे रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम साफ पानी का उपयोग करें और स्वास्थ्य विभाग की हिदायतों का पालन करें।
Also read-September 2025 में आज़माएं 25+ शानदार AI इमेज Prompts