IIT भुवनेश्वर में बनेगा ‘NaMo Semiconductor Laboratory’

भारत में चिप निर्माण और स्किल डेवलपमेंट को मिलेगा बड़ा बढ़ावा

भारत सरकार ने देश के युवाओं को सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने IIT भुवनेश्वर में ‘NaMo Semiconductor Laboratory’ की स्थापना को मंजूरी दी है। यह प्रोजेक्ट MPLAD स्कीम के तहत फंड किया जाएगा और इसकी अनुमानित लागत ₹4.95 करोड़ होगी।

क्या है NaMo Semiconductor Laboratory?

‘NaMo Semiconductor Lab’ एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला होगी जहाँ छात्रों को सेमीकंडक्टर ट्रेनिंग, डिज़ाइन और फेब्रिकेशन (निर्माण) से जुड़ी आधुनिक तकनीकों की शिक्षा दी जाएगी।

  • इस लैब में ₹4.6 करोड़ के उपकरण और ₹35 लाख के सॉफ्टवेयर लगाए जाएंगे।

  • इसका उद्देश्य युवाओं को इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स सिखाकर भारत की सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को मजबूत करना है।

IIT भुवनेश्वर क्यों चुना गया?

NaMo Semiconductor Lab IIT Bhubaneswar
NaMo Semiconductor Lab IIT Bhubaneswar

ओडिशा हाल ही में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत दो बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए चुना गया है:

  1. सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) आधारित कंपाउंड सेमीकंडक्टर की एकीकृत सुविधा

  2. 3D ग्लास पैकेजिंग की एक उन्नत यूनिट

IIT भुवनेश्वर पहले से ही Silicon Carbide Research and Innovation Centre (SiCRIC) का घर है और यहाँ पर आधुनिक क्लीनरूम सुविधाएँ मौजूद हैं। नई लैब इन सुविधाओं को और मजबूत बनाएगी और भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए R&D (अनुसंधान एवं विकास) सपोर्ट प्रदान करेगी।

‘Make in India’ और ‘Design in India’ को मिलेगा बल

NaMo Semiconductor Lab भारत सरकार के दो प्रमुख मिशनों — ‘Make in India’ और ‘Design in India’ — को नई ऊर्जा देगी।

  • यह लैब देश के युवाओं को चिप डिज़ाइन और पैकेजिंग में दक्ष बनाएगी।

  • यह भारत को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

  • यह लैब भारत में बन रहे नए चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए आवश्यक टैलेंट तैयार करेगी।

भारत का बढ़ता सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम

  • भारत में 20% ग्लोबल चिप डिज़ाइन टैलेंट मौजूद है।

  • देश के 295 विश्वविद्यालयों के छात्र नवीनतम EDA टूल्स के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

  • 28 छात्र-डिज़ाइन किए गए चिप्स पहले ही SCL मोहाली में तैयार किए जा चुके हैं।

इन सभी प्रयासों से यह स्पष्ट है कि भारत अब सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और निर्माण के ग्लोबल हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

निष्कर्ष

IIT भुवनेश्वर में बनने जा रही ‘NaMo Semiconductor Laboratory’ न सिर्फ एक प्रयोगशाला है, बल्कि यह भारत के टेक्नोलॉजी सेक्टर के भविष्य की नींव है।
यह युवाओं को नई तकनीकें सिखाएगी, भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी और दुनिया के सामने भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाएगी।

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