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श्रीधर वेम्बु और Zoho की प्रेरणादायक सफलता की कहानी: अरत्ताई बना भारत का WhatsApp विकल्प

श्रीधर वेम्बु सफलता की कहानी

श्रीधर वेम्बु सफलता की कहानी

आज के समय में जब पूरी दुनिया विदेशी टेक्नोलॉजी कंपनियों पर निर्भर है, भारत से एक ऐसा उद्यमी निकला जिसने साबित कर दिया कि गांव से भी वैश्विक स्तर की टेक्नोलॉजी बनाई जा सकती है। यह उद्यमी हैं – श्रीधर वेम्बु, Zoho Corporation के संस्थापक।

Zoho सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि भारतीय आत्मनिर्भरता और नवाचार का प्रतीक है। और अब इसका नया मैसेजिंग ऐप अरत्ताई (Arattai) लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह ऐप WhatsApp और Telegram जैसे दिग्गजों को चुनौती दे रहा है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:

श्रीधर वेम्बु कौन हैं?

श्रीधर वेम्बु का जन्म 1968 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे पढ़ाई में मेधावी थे। उन्होंने 1989 में IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया और इसके बाद अमेरिका की प्रतिष्ठित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से PhD पूरी की।

पीएचडी करने के बाद वे अमेरिका में Qualcomm कंपनी में सिस्टम्स डिजाइन इंजीनियर के रूप में कार्यरत हुए। वहां से उन्हें मोटा वेतन और आरामदायक जीवन मिल सकता था, लेकिन उनके भीतर कुछ और करने की आग थी। वे चाहते थे कि भारत से विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट बने।

अमेरिका छोड़कर भारत लौटने का साहस

1990 के दशक में जब भारतीय टेक्नोलॉजी कंपनियां ज्यादातर आउटसोर्सिंग और सर्विस सेक्टर तक सीमित थीं, उस समय श्रीधर वेम्बु ने अलग रास्ता चुना। उन्होंने अमेरिका छोड़कर तमिलनाडु के छोटे से गांव तेनकासी लौटने का फैसला किया।

लोगों को यह कदम अजीब लगा। उन्हें कहा गया कि इतनी बड़ी पढ़ाई करके गांव लौटना और वहां से कंपनी खड़ी करना नामुमकिन है। लेकिन वेम्बु का सपना अलग था – गांव से ही ग्लोबल सॉफ्टवेयर कंपनी बनाना।

Zoho की शुरुआत: AdventNet से वैश्विक कंपनी तक

1996 में वेम्बु ने अपने भाइयों और दोस्तों के साथ मिलकर AdventNet नाम से कंपनी शुरू की। शुरुआत में यह कंपनी नेटवर्क मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर बनाती थी। धीरे-धीरे इसने क्लाउड-बेस्ड प्रोडक्ट्स पर काम शुरू किया और बाद में इसका नाम बदलकर Zoho Corporation रखा गया।

आज Zoho के पास:

Zoho की सालाना आय (FY 2023–24) लगभग ₹8,703 करोड़ रही और कंपनी की वैल्यूएशन ₹1.04 लाख करोड़ के पार पहुंच चुकी है।

Zoho की खासियत: बाहरी फंडिंग नहीं

Zoho की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उसने कभी भी बाहरी निवेश (VC Funding) नहीं लिया। जबकि आज ज्यादातर स्टार्टअप वेंचर कैपिटल पर निर्भर हैं, Zoho पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड (स्व-वित्तपोषित) कंपनी है।

इसका फायदा यह हुआ कि कंपनी पर किसी बाहरी दबाव या शेयरधारकों का नियंत्रण नहीं है। वेम्बु हमेशा से कहते आए हैं:
 “हम लंबी अवधि के प्रभाव और स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं, इसलिए कभी बाहरी पैसा नहीं लिया।”

Zoho Schools of Learning – बिना डिग्री भी टैलेंटेड इंजीनियर

श्रीधर वेम्बु का मानना है कि टैलेंट केवल IITs या बड़ी यूनिवर्सिटी से नहीं आता। उन्होंने Zoho Schools of Learning शुरू की, जहां साधारण परिवारों के छात्र, यहां तक कि कॉलेज ड्रॉपआउट्स को भी ट्रेनिंग देकर इंजीनियर बनाया जाता है।

आज Zoho के कई डेवलपर्स इन्हीं स्कूलों से आए हैं। इससे न केवल रोजगार बढ़ा बल्कि गांवों से भी तकनीकी टैलेंट निकलकर सामने आया।

अरत्ताई ऐप: WhatsApp का भारतीय विकल्प

Zoho का मैसेजिंग ऐप अरत्ताई (Arattai) 2021 में लॉन्च हुआ। शुरुआत में यह ज्यादा चर्चित नहीं हुआ, लेकिन 2024–25 में अचानक इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी।

अरत्ताई क्यों खास है?

लॉन्च के कुछ ही दिनों में अरत्ताई ने जबरदस्त ग्रोथ दिखाई।
 सिर्फ 3 दिनों में इसके साइन-अप्स 3,000 से बढ़कर 3,50,000 प्रतिदिन हो गए – यानी 100 गुना तेजी!

WhatsApp बनाम अरत्ताई: कौन बेहतर?

फीचर WhatsApp अरत्ताई
डेवलपर Meta (USA) Zoho (India)
डेटा स्टोरेज विदेशों में सर्वर भारत में सर्वर
विज्ञापन भविष्य में Ads की योजना पूरी तरह Ad-Free
गोपनीयता Meta की नीतियों पर सवाल Privacy-first दृष्टिकोण
लोकल पहचान विदेशी कंपनी देसी, भारतीय पहचान

भारतीय यूजर्स के लिए सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि अरत्ताई का डेटा भारत में ही सुरक्षित है और इसे “Made in India, Made for the World” विज़न के साथ बनाया गया है।

सोशल मीडिया और सरकारी समर्थन

जब भारत सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अरत्ताई को समर्थन दिया, तो यह ऐप और तेजी से लोकप्रिय हुआ। देशभर में सोशल मीडिया पर इसे WhatsApp का इंडियन किलर ऐप कहा जाने लगा।

श्रीधर वेम्बु का साधारण जीवन

फोर्ब्स के अनुसार श्रीधर वेम्बु की नेटवर्थ 5.8 बिलियन डॉलर (₹51,000 करोड़) से अधिक है। इसके बावजूद वे बेहद सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं।

यही कारण है कि उन्हें सिर्फ एक अरबपति उद्यमी नहीं, बल्कि सादगी और भारतीय मूल्यों का प्रतीक माना जाता है।

Zoho पर फैली अफवाहें और वेम्बु का जवाब

हाल ही में सोशल मीडिया पर Zoho को लेकर कई तरह की गलत बातें फैलाई गईं – जैसे कि कंपनी को सरकार से फंडिंग मिली है या इसका राजनीतिक जुड़ाव है।

इस पर श्रीधर वेम्बु ने X पर लिखा:

Zoho और आत्मनिर्भर भारत

आज Zoho सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) की मिसाल है।

भविष्य की राह

Zoho और अरत्ताई का सफर अभी जारी है।

निष्कर्ष

श्रीधर वेम्बु और Zoho की कहानी हर भारतीय उद्यमी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने दिखाया कि नवाचार (Innovation) सिर्फ बड़े शहरों या विदेशों में नहीं, बल्कि गांवों से भी निकल सकता है।

Zoho की सफलता और अरत्ताई ऐप का उभार भारत को डिजिटल आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहा है। यह केवल एक ऐप या कंपनी की जीत नहीं, बल्कि भारत की प्रतिभा और दृष्टिकोण की जीत है।

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